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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
अध्याय - 3
लोक प्रशासन और निजी प्रशासन
(Public Administration and
Private Administration)
प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
अथवा
लोक प्रशासन का अर्थ बताइए। इसका निजी प्रशासन से अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 'निजी प्रशासन' किसे कहते हैं?.
2. लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में कोई दो अंतर बताइए।
उत्तर -
प्रशासन की धारणा का आधुनिक युग में जैसे-जैसे विकास होता गया वैसे-वैसे सार्वजनिक (लोक) प्रशासन व निजी प्रशासन में तुलनात्मक भेद की बढ़ता गया है। सामान्य तौर लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में तमाम समानताएँ पाई जाती है और यह दोनों ही प्रशासन के महत्वपूर्ण रूप हैं, परन्तु इनके बावजूद इनमें कई विभिन्नताएँ भी देखने को मिलती हैं। अतः लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में भेद को इनके अर्थों को समझते हुए निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है
लोक प्रशासन से अभिप्राय - इस शीर्षक के लिए अध्याय 1 का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सं. 1 देखें।
निजी प्रशासन से अभिप्राय - निजी प्रशासन लोक प्रशासन से निम्न प्रशासनिक व्यवस्था होती है। निजी प्रशासन से तात्पर्य वे कार्य जो व्यक्तिगत या गैर-सरकारी संस्था द्वारा निजी लाभ के लिए किए जाते हैं। इसमें लोकहित की भावना व्यक्तिगत या संस्थागत हित की भावना की तुलना में कम होती है। निजी प्रशासन का लक्ष्य लाभ प्राप्त करना है वह लाभ चाहे राजनैतिक हो या फिर आर्थिक निजी लाभ के लिए निजी प्रशासन में जनता के हित की उपेक्षा तक की जा सकती है। निजी प्रशासन में अधिकारीगण सीधे- सीधे जनता के प्रति उत्तरदायी न होकर व्यक्तिगत या गैर-सरकारी संस्था के प्रति होते हैं। इससे समाज सेवा की भावना न के बराबर होती है। निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की तुलना में भ्रष्टाचार भी कम पाया जाता है क्योंकि निजी प्रशासन में पद सोपानी सिद्धान्त का सख्ती के साथ पालन किया जाता है और प्रत्येक अधीनस्थ कर्मचारी का अपने उच्चस्थ अधिकारियों के प्रति जवाबदेयी होती है। साथ ही इसमें संस्था का व्यक्तिगत लाभ की भावना निहित होने से कर्मचारियों के अपने व्यक्तिगत लाभ की कोई सम्भावना नहीं रहती तथा निजी प्रशासन में कर्मचारियों की जनता से प्रायः सीधा सम्पर्क भी अत्यन्त सीमित ही रहता है निजी प्रशासन का दृष्टिकोण पूर्णतः व्यावसायिक होता है। तथा इससे लालफीताशाही का दोष भी नहीं पाया जाता।
लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन में अंतर (भिन्नताएँ) - प्रशासन को सामान्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है -
(1) लोक प्रशासन
(2) निजी प्रशासन।
किसी देश की सरकार द्वारा किये जाने वाले और समूची जनता से सम्बन्ध रखने वाले कार्यों को लोक प्रशासन के अन्तर्गत समझा जाता है। इसके विपरीत निजी प्रशासन से तात्पर्य वे कार्य जो व्यक्तिगत या गैर-सरकारी संस्था द्वारा निजी लाभ के लिए किये जाते हों। इनमें लोकहित की भावना नहीं होती है। प्रशासन चाहे निजी हो या सार्वजनिक उनमें मात्रा" का अन्तर अपेक्षाकृत "प्रकार" के अन्तर से अधिक लगता है। लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन की वस्तु-स्थिति क्या है यह जानने के लिए दोनों के बीच अन्तर तथा समानता को जानना आवश्यक है।
लोक प्रशासन तथा व्यक्तिगत प्रशासन में अन्तर - लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में असमानता के बिन्दु निम्नलिखित हैं-
(1) प्रशासकीय व्यवहार - लोक प्रशासन में प्रशासकीय व्यवहार तथा निर्णय एक-दूसरे के विरोधी नहीं होते वरन् वे नियमों एवं परम्पराओं के अनुकूल होते हैं। इसमें पक्षपात नहीं किया जाता जबकि व्यक्तिगत प्रशासन में इस प्रकार के समान व्यवहार की आवश्यकता नहीं होती। निजी प्रशासन में पक्षपातपूर्ण व्यवहार अथवा विशिष्ट व्यवहार किया जा सकता है। जिस प्रकार से एक दुकानदार किसी ऐसे व्यक्ति को उधार सामान देने में कोई संकोच नहीं करता जो उससे प्रायः रोज सामान खरीदता है जबकि एक डाक बाबू रोजाना पोस्टकार्ड या डाक टिकट खरीदने वाले ग्राहक को उधार नहीं दे सकता।
(2) जनता के प्रति उत्तरदायित्व - लोक प्रशासन का जनता के प्रति उत्तरदायित्व होता है जबकि व्यक्तिगत प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदायित्व की अवहेलना तो नहीं करता किन्तु लोक प्रशासन की तरह उत्तरदायी नहीं होता। लोक प्रशासन को समाचारपत्रों तथा राजनीतिक दलों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। कोई भी विशिष्ट कार्य करने से पूर्व लोक प्रशासकों को इस बात पर सावधानी से विचार करना पड़ता है कि उस पर जनता की सम्भावित प्रतिक्रिया क्या होगी। लोक प्रशासन को जनता के सामने अपने कार्यों की न्यायोचितता सिद्ध करनी पड़ती है जबकि इन सब बाध्यताओं तथा कठिनाइयों का सामना निजी प्रशासन को नहीं करना पड़ता।
(3) लाभ प्राप्ति का उद्देश्य - व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करना निजी प्रशासन का मूल आधार होता है जबकि लोक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक हित तथा लोक कल्याण होता है। लाभ प्राप्त करने का जो लक्ष्य निजी प्रशासन का मूल आधार होता है वह लोक प्रशासन में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। एक . व्यापारी व्यक्तिगत हानि में व्यय का विचार करके ही कोई कदम उठाता है जबकि लोक सेवक के लिए जनहित मुख्य होता है।
(4) सेवाओं की प्रकृति - लोक प्रशासन में जिन सेवाओं का संचालन किया जाता है वह समाज की सभ्यता, संस्कृति, विकास तथा जीवन के लिए अति आवश्यक होती है। किन्तु निजी प्रशासन की सेवाओं में इस विशेषता का अभाव रहता है।
(5) कानून व नियमों का प्रभाव - लोक प्रशासन अपेक्षाकृत कानूनों एवं नियमों से अधिक नियमित होता है इनका निजी प्रशासन नहीं होता तथा इसमें खरीदारी, ठेके, टेण्डर आदि सभी कार्य कुछ निश्चित नियमों के अनुसार किए जाते हैं। निजी उद्योगों में सुविधानुसार व्यवहार न केवल आपत्तिविहीन है अपितु प्रशंसनीय है। लोक प्रशासन के कार्यों का औचित्य केवल उसके परिणामों से ही नहीं वरन् उसकी ठीक प्रक्रिया से भी जाना जाता है जबकि निजी प्रशासन में व्यवहार की अधिक स्वतंत्रता होती है।.
(6) लालफीताशाही का दृष्टिकोण - लोक प्रशासन का संगठन नौकरशाही के आधार पर होता है जबकि निजी प्रशासन का संगठन व्यापारिक आधार पर किया जाता है। लोक प्रशासन में प्रशासकीय कार्य की गति धीमी रहती है तथा प्रशासकीय प्रक्रिया के परिणामस्वरूप लाल फीताशाही, घूसखोरी, भ्रष्टाचार, अकर्मण्यता जैसी प्रशासनिक बुराइयों का वर्चस्व स्थापित हो जाता है तथा प्रशासकीय मशीनरी में शिथिलता एवं कार्य की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसके विपरीत निजी प्रशासन के क्षेत्र में प्रशासकीय कार्य तेज गति से सम्पन्न होते हैं। निर्णय लने में विलम्ब नहीं होता तथा कार्य की गुणवत्ता बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
(7) एकाधिकार की दृष्टि से - लोक प्रशासन में प्रायः शासन का एकाधिकार होता है तथा इन कार्यों को कोई भी व्यक्ति घरेलू तौर पर नहीं करता। जैसे - डाक, रेलवे आदि कार्यों का सम्पादन सरकारी तौर पर लोक सेवकों द्वारा ही किया जाता है परन्तु निजी प्रशासन में इस प्रकार का एकाधिकार नहीं पाया जाता। यद्यपि वर्तमान बदली हुई राजनीतिक गतिविधियों तथा आर्थिक उदारीकरण के युग में कई ऐसे महत्वपूर्ण विभाग जोकि सरकारी देख-रेख में कार्य करते थे उन्हें आज व्यक्तिगत प्रशासन को दिया जा रहा है।
(8) सेवा की भावना - नीग्रो के मतानुसार, "जनता के लिए की जाने वाली सेवाएँ लोक प्रशासन का वास्तविक ह्रदय है। लोक प्रशासन के द्वारा जिन सेवाओं का संचालन किया जाता है, वे सेवाएँ प्रायः जनता की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं और साथ ही उनकी प्रकृति इतनी महत्वपूर्ण होती है कि उनके बिना समाज का जीवन सभ्यता एवं सांस्कृतिक विकास असम्भव हो जाता है। लोक प्रशासन के सम्मुख यह प्रश्न रहता है कि क्या इस कृत्य से समाज की सेवा होगी? उसका कल्याण होगा? इस प्रकार का प्रतिबद्ध दृष्टिकोण निजी प्रशासन में नहीं अपनाया जाता है।
(9) विभिन्न आचार संहिताएँ - लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के क्षेत्र में आचार संहिताएँ भी अलग-अलग लागू होती हैं जैसेकि लोक प्रशासन अपनी सेवाओं का विज्ञापन प्रचार उस प्रकार से नहीं कर सकता जिस प्रकार से व्यावसायिक संस्थान अपनी वस्तुओं का विज्ञापन कर सकते हैं। सरकारी प्रचार और विज्ञापन को जनता सदैव शक और विरोध की दृष्टि से देखती है। लोक प्रशासन में नैतिकता का एक न्यूनतम स्तर बनाए रखना अति आवश्यक होता है।
वास्तविकता यह है कि लोक प्रशासन और निजी प्रशासन कोई पृथक-पृथक सत्ता नहीं हैं, बल्कि वे एक ही प्रशासन के दो अलग-अलग रूप हैं। उनकी जाति एक ही है, किस्में, महत्व और प्रणालियाँ अलग-अलग हैं। इसी कारण से दोनों के स्वरूप भी अलग-अलग हैं किन्तु फिर भी इनमें कुछ समानताएं भी पायी जाती हैं।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।